क्या सोशल मीडिया से दूरी सपने करेगी पूरी?: Motivational Story in Hindi for Students

Motivational Story in Hindi for Students

Motivational Story in Hindi सीरीज मैं प्रस्तुत है पढाई और सोशल मीडिया के बीच होनेवाली कस्मकस की कहानी।

सूरज की किरणें स्कूल के मैदान पर फैल चुकी थीं। क्लासरूम के अंदर हलचल मची थी—कोई आपस में बातें कर रहे थे, तो कोई मोबाइल स्क्रीन पर ध्यान लगाए हुए था। प्रणव, एक 16 साल का शांत और संयमी लड़का, अपनी जगह पर बैठा किताबों में खोया हुआ था। उसकी आँखों में डॉक्टर बनने का सपना था, और हर दिन वह उसी दिशा में एक कदम बढ़ाने के लिए मेहनत करता था।

तभी, उसके दोस्त राहुल और काव्या उसके पास आए।
“अरे यार, तुमने कल का वायरल मीम देखा क्या?” राहुल ने उत्साहित होकर पूछा।
प्रणव ने सिर उठाकर उनकी तरफ देखा, लेकिन चेहरे पर उलझन थी। “नहीं, कौन-सा मीम?”

राहुल और काव्या एक-दूसरे को देखकर हंसने लगे। “अरे, यार! तुम तो पूरी तरह से आउटडेटेड हो। सारे लोग उसी के बारे में बात कर रहे हैं!” काव्या ने मजाक उड़ाते हुए कहा।

प्रणव थोड़ा असहज हो गया। सोशल मीडिया पर उसकी उपस्थिति लगभग न के बराबर थी। वह अपने समय का अधिकतर हिस्सा पढ़ाई और किताबों में लगाता था। लेकिन आज उसे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे वह कहीं पीछे छूट रहा है। उसने मन ही मन सोचा, “क्या मुझे भी इन सब चीज़ों में दिलचस्पी लेनी चाहिए?”

क्लास में बजी घंटी ने सभी को अपनी सीटों पर लौटने का इशारा किया। लेकिन प्रणव का मन बेचैन था। हर जगह, हर कोई मोबाइल में व्यस्त था, चाहे वह स्कूल हो या घर। वह अपने दोस्तों के बीच रहकर भी अलग-थलग महसूस कर रहा था।

दिन के अंत में, जब वह घर पहुँचा, उसकी माँ ने उसे उदास देखा। “क्या हुआ बेटा, तुम कुछ परेशान लग रहे हो?” माँ ने प्यार से पूछा।

प्रणव ने किताबों को बगल में रखकर कहा, “माँ, क्या मैं पीछे छूट रहा हूँ? मेरे दोस्त हमेशा सोशल मीडिया पर रहते हैं, नए-नए ट्रेंड्स के बारे में बात करते हैं, और मुझे कुछ भी समझ नहीं आता। क्या मुझे भी वहाँ वक्त बिताना चाहिए?”

माँ मुस्कुराईं और उसके पास बैठ गईं। “बेटा, सोशल मीडिया सिर्फ दिखावा है। जो असली सफलता है, वह तुम्हारी मेहनत और ध्यान में छिपी है। याद रखो, दुनिया हमेशा बदलती रहती है, लेकिन जो तुम अभी सीखोगे, वह तुम्हारे साथ हमेशा रहेगा।”

प्रणव ने माँ की बातों को सुना और सोचा, “शायद माँ सही कह रही हैं, लेकिन फिर भी, क्या मेरे दोस्त सही नहीं हैं?”

Motivational Story in Hindi for Students

उस रात, प्रणव के मन में कई सवाल घूमते रहे। सोशल मीडिया पर जाना क्या वाकई ज़रूरी था? या फिर उसकी मेहनत और पढ़ाई ही उसे असली पहचान दिलाएगी?

अगली सुबह, प्रणव ने स्कूल जाते समय माँ की बातें याद कीं। हालाँकि उसने खुद को समझाया कि सोशल मीडिया में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, फिर भी मन के किसी कोने में एक खालीपन सा था। वह सोचता रहा कि क्या वह वाकई कुछ मिस कर रहा है।

स्कूल पहुँचते ही उसकी मुलाकात फिर से काव्या और राहुल से हुई। इस बार दोनों बेहद खुश और उत्साहित थे।
“प्रणव, कल रात मैंने एक और ट्रेंडिंग वीडियो पोस्ट किया और देख, एक दिन में 500 नए फॉलोअर्स!” काव्या ने गर्व से कहा।
राहुल ने भी उत्साह से कहा, “और मेरा मीम तो पूरे शहर में वायरल हो रहा है! अब तो मैं सोच रहा हूँ कि फुल-टाइम कंटेंट क्रिएटर बन जाऊँ।”

प्रणव ने उन्हें मुस्कुराकर सुना, लेकिन उसकी आँखों में एक हल्की चिंता थी। उसे ऐसा लग रहा था कि उसके दोस्त कहीं और आगे बढ़ रहे हैं, जबकि वह अपने किताबों में खोया रह गया है।
“तुम भी कुछ ऐसा क्यों नहीं करते, प्रणव?” राहुल ने अचानक पूछ लिया। “तुम्हारे पास भी तो अच्छे आइडियाज होंगे, सिर्फ किताबों में क्यों उलझे रहते हो?”

यह सवाल प्रणव के दिल में गहरी चुभन बनकर बैठ गया। क्या सच में वह समय बर्बाद कर रहा था?
वह कुछ बोलता, उससे पहले ही घंटी बजी और सब अपनी क्लासों की ओर चल दिए।

दोपहर में, राहुल का दिन वैसा नहीं रहा जैसा उसने सोचा था। क्लास में जब अध्यापक ने उसके नाम पुकारा और एक आसान सवाल पूछा, तो वह खामोश रह गया। उसके दिमाग में वही ट्रेंडिंग वीडियो और मीम्स चल रहे थे, लेकिन पढ़ाई का कोई जवाब याद नहीं आ रहा था। बाकी क्लास के बच्चों ने उसे देखकर हंसना शुरू कर दिया। राहुल के चेहरे पर शर्मिंदगी साफ झलक रही थी।

अध्यापक ने गंभीरता से कहा, “राहुल, अगर तुम्हारा ध्यान पढ़ाई पर नहीं है, तो आगे के क्लास में कैसे बढ़ पाओगे?”

यह सुनकर राहुल की आँखें झुक गईं। क्लास खत्म होने के बाद, उसने प्रणव को ढूंढा और कहा, “यार, शायद तुम सही थे। ये सोशल मीडिया सब मजेदार है, लेकिन इसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।”

प्रणव ने राहुल को सांत्वना दी। “कोई बात नहीं, राहुल। हम सब गलतियाँ करते हैं। लेकिन अभी भी समय है सुधारने का।”

काव्या, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हुए मशहूर हो रही थी, धीरे-धीरे खुद को असुरक्षित महसूस करने लगी। एक दिन जब उसे एक फोटोग्राफी प्रतियोगिता में भाग लेना था, वह अच्छे से तैयारी नहीं कर पाई, क्योंकि उसका अधिकतर समय वीडियो बनाने और फॉलोअर्स गिनने में निकल गया था। प्रतियोगिता के परिणाम आए और उसे सफलता नहीं मिली।

काव्या ने प्रणव से कहा, “शायद मैं भी गलत दिशा में जा रही हूँ। मुझे फोटोग्राफी से प्यार है, लेकिन सोशल मीडिया की प्रसिद्धि ने मेरा ध्यान भटका दिया है। अब मुझे समझ आया कि असली मेहनत कैमरे के पीछे है, स्क्रीन के सामने नहीं।”

प्रणव के सामने अब तस्वीर साफ हो रही थी। सोशल मीडिया का दबाव उसके दोस्तों पर भारी पड़ रहा था, और वे धीरे-धीरे इसकी सच्चाई समझ रहे थे। लेकिन क्या वह खुद को इस प्रभाव से पूरी तरह मुक्त कर पाएगा?

उसने एक बार फिर खुद से वादा किया—वह अपने लक्ष्य से भटकेगा नहीं, चाहे उसके आसपास का माहौल कैसा भी हो। उसने माँ की सीख याद की और खुद को अपने सपनों के लिए पूरी तरह से समर्पित करने का फैसला किया।

कुछ दिन बीत गए। प्रणव अब पढ़ाई में पूरी तरह से ध्यान लगाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसके मन के किसी कोने में अभी भी सोशल मीडिया की हलचल चल रही थी। काव्या और राहुल भी अपने रास्ते पर लौटने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उनके भीतर का दबाव उन्हें बार-बार सोशल मीडिया की ओर खींच रहा था।

एक दिन, स्कूल में वार्षिक परीक्षाओं की घोषणा हुई। यह खबर सभी के लिए महत्वपूर्ण थी, क्योंकि यह उनकी पढ़ाई का सबसे बड़ा मापदंड थी। प्रणव ने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन वह सोच रहा था कि क्या उसके दोस्त भी इसके लिए गंभीर होंगे।

Motivational Story in Hindi for Students

राहुल ने परीक्षा की तैयारी की शुरुआत की, लेकिन बीच-बीच में अपने फोन की ओर खिंचने लगा। हर बार जब वह पढ़ने बैठता, तभी कोई नया ट्रेंड उसे आकर्षित कर लेता। एक रात, जब वह पढ़ाई कर रहा था, उसका फोन चमका। एक नया मीम ट्रेंड हो रहा था, और राहुल को तुरंत उसमें भाग लेने की तलब महसूस हुई।
“चलो, पढ़ाई बाद में कर लेंगे,” उसने खुद से कहा और फोन उठा लिया। वह पूरी रात सोशल मीडिया पर वीडियो देखता रहा, और सुबह तक किताबें एक ओर पड़ी रहीं।

उसी समय, काव्या भी संघर्ष कर रही थी। उसने सोशल मीडिया से दूरी बनाने का फैसला किया था, लेकिन फिर से वह अपनी प्रोफाइल और फॉलोअर्स की संख्या देखने में उलझ गई।
“अगर मैं यहाँ से गायब हो गई, तो लोग मुझे भूल जाएंगे,” उसने सोचा। और इसी डर के चलते, वह फिर से उसी जाल में फँस गई। उसकी फोटोग्राफी का जुनून कहीं पीछे छूट गया था, और उसका पूरा ध्यान फोन पर टिक गया था।

प्रणव, दूसरी ओर, पढ़ाई में पूरी तरह से डूबा हुआ था। उसने खुद से एक वादा किया था कि वह सोशल मीडिया के दबाव में नहीं आएगा, और यही बात उसे आगे बढ़ा रही थी। हालाँकि, कभी-कभी उसे अकेलापन महसूस होता था, खासकर जब वह अपने दोस्तों को लगातार सोशल मीडिया पर व्यस्त देखता। एक दिन वह अपने दोस्तों से मिलने का फैसला करता है, यह जानने के लिए कि वे कैसे हैं।

वह राहुल के घर जाता है। राहुल थका हुआ और चिंतित दिखाई दे रहा था। उसने प्रणव से कहा, “यार, मैं कोशिश कर रहा हूँ, लेकिन सोशल मीडिया की आदत छूट ही नहीं रही। जब भी पढ़ने बैठता हूँ, फोन हाथ में आ जाता है।”

प्रणव ने राहुल के कंधे पर हाथ रखकर कहा, “ये तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन है, राहुल। हमें खुद से लड़ना होगा। अगर हम अपने सपनों के लिए गंभीर हैं, तो इस बर्बादी से खुद को दूर रखना होगा।”

राहुल ने गहरी साँस ली और कहा, “तुम सही हो। मैं समझ रहा हूँ, लेकिन बहुत मुश्किल है।”

फिर दोनों काव्या से मिलने गए। काव्या ने भी निराशा में कहा, “मुझे भी यह एहसास हो रहा है कि मैंने फोटोग्राफी से ध्यान हटाकर सोशल मीडिया पर लगा दिया। अब मुझे अपनी असली पहचान भूलती सी लग रही है।”

तीनों दोस्त एक जगह बैठकर अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हैं। यह वह क्षण था जब सभी को यह समझ में आ गया कि उन्हें बदलाव लाने की जरूरत है।

प्रणव ने गंभीरता से कहा, “देखो, हमें अपने जीवन में संतुलन बनाना होगा। सोशल मीडिया हमारे सपनों को बर्बाद कर रहा है। हम इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर सकते हैं, या इसे पूरी तरह से छोड़ सकते हैं। लेकिन सबसे जरूरी है कि हम अपने असली लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें।”

काव्या और राहुल उसकी बातें सुनकर सहमति में सिर हिलाते हैं।
राहुल ने कहा, “मैं यह लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हूँ। अगर मुझे सोशल मीडिया छोड़ना भी पड़े, तो भी कोई बात नहीं।”

काव्या ने भी प्रणव की ओर देखते हुए कहा, “मैं भी अपने सपने के लिए पूरी तरह से समर्पित होना चाहती हूँ। फोटोग्राफी ही मेरी असली पहचान है, और मैं इसे खोना नहीं चाहती।”

उस दिन, तीनों दोस्तों ने मिलकर एक वादा किया—वे अपने सपनों को प्राथमिकता देंगे और सोशल मीडिया पर कम से कम समय बिताएँगे। वे जानते थे कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन अगर वे साथ रहें, तो यह मुमकिन था।

अगले कुछ दिन, तीनों ने अपनी पढ़ाई में मन लगाकर मेहनत की। राहुल ने अपने फोन से सोशल मीडिया ऐप्स डिलीट कर दिए और काव्या ने एक शेड्यूल बनाया, जहाँ वह अपनी फोटोग्राफी के लिए समय निकाल सके, बिना सोशल मीडिया पर समय बर्बाद किए। प्रणव अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास से भर गया था। उसने महसूस किया कि वह अकेला नहीं है, उसके दोस्त भी इस सफर में उसके साथ हैं।

दिन बीतते गए, और धीरे-धीरे तीनों दोस्तों ने अपनी दिनचर्या में सुधार लाना शुरू कर दिया। राहुल, जो पहले सोशल मीडिया के मीम्स और वीडियो में उलझा रहता था, अब परीक्षा की तैयारी में पूरी तरह जुट गया था। उसने अपने नोट्स तैयार किए और हर दिन निर्धारित समय पर पढ़ाई करने लगा। उसके चेहरे पर आत्मविश्वास लौट आया था, और उसे अपने भीतर बदलाव का अहसास हो रहा था।

काव्या ने भी सोशल मीडिया पर अपने समय को सीमित कर दिया। उसने खुद से वादा किया था कि वह केवल अपने काम को दिखाने के लिए ही इसका इस्तेमाल करेगी, न कि अनावश्यक रूप से समय बर्बाद करने के लिए। उसने एक फोटो प्रदर्शनी में भाग लेने का निर्णय लिया और अपने कैमरे के पीछे छिपी सच्ची कलाकार को फिर से ढूंढ निकाला। फोटोग्राफी उसके लिए अब सिर्फ एक शौक नहीं, बल्कि उसकी पहचान बन गई थी।

प्रणव, जो पहले से ही पढ़ाई में मेहनती था, उसने ने भी अब अपने कदम और तेज कर दिए। उसने यह साबित कर दिया कि वह सिर्फ किताबों में डूबा हुआ लड़का नहीं था, बल्कि वह अपने सपनों की ओर बढ़ने वाला एक दृढ़ संकल्पी व्यक्ति था। उसके साथियों की सफलता उसे और प्रेरित कर रही थी, और उसने अपने लक्ष्य की दिशा में और भी मजबूती से काम करना शुरू कर दिया।

परीक्षाएँ नजदीक आ चुकी थीं। क्लास में सभी छात्र अपनी-अपनी तैयारी में व्यस्त थे। राहुल, जो कभी सोशल मीडिया का दीवाना था, अब अपनी किताबों के साथ पूर्ण रूप से तैयार था। काव्या ने अपनी पढ़ाई के साथ-साथ फोटोग्राफी में भी सफलता पाई।

परीक्षा के दिन, तीनों दोस्त एक साथ स्कूल पहुँचे। उनके चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। यह वही तीन दोस्त थे, जो कभी सोशल मीडिया के दबाव में घिरे हुए थे, लेकिन आज उन्होंने अपनी मेहनत और संकल्प के दम पर खुद को बदल लिया था।

Motivational Story in Hindi for Students

परीक्षाओं के कुछ हफ्ते बाद परिणाम आए। राहुल ने शानदार अंकों के साथ परीक्षा पास की, और उसकी मेहनत का फल उसे मिला। वह खुश था कि उसने अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण समय को सही दिशा में लगाया। काव्या ने भी अच्छे अंक हासिल किए और उसकी फोटोग्राफी प्रदर्शनी में उसे दूसरा पुरस्कार मिला। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था।
और प्रणव, जिसने सबसे ज्यादा मेहनत की थी, अपनी क्लास का टॉपर बना। वह अपने सपनों के और करीब पहुँच चुका था।

परीक्षाओं के बाद, तीनों दोस्त स्कूल के मैदान में बैठे थे। राहुल ने हंसते हुए कहा, “यार, अगर हमने उस दिन सोशल मीडिया का मोह नहीं छोड़ा होता, तो आज शायद यह दिन देखने को नहीं मिलता।”

काव्या ने सहमति में सिर हिलाया। “सही कह रहे हो। असली सफलता तो मेहनत और अनुशासन में है, न कि लाइक्स और फॉलोअर्स में।”

प्रणव ने मुस्कुराते हुए कहा, “हमने खुद को साबित कर दिया कि सोशल मीडिया जीवन का हिस्सा हो सकता है, लेकिन वह हमारा भविष्य तय नहीं करता। हमें अपना भविष्य खुद बनाना होता है।”

तीनों ने एक-दूसरे को देखा और फिर से हंसने लगे। उन्होंने अपने-अपने सपनों की ओर पहला बड़ा कदम उठा लिया था, और अब उन्हें यह एहसास हो चुका था कि असली दुनिया सोशल मीडिया से बाहर है—वह दुनिया, जहाँ मेहनत और लगन के दम पर सपने साकार होते हैं।


इस कहानी के माध्यम से यह संदेश दिया गया है कि सोशल मीडिया का मोह जितना आकर्षक हो सकता है, उतना ही हमारे सपनों से भटका भी सकता है। असली सफलता मेहनत, समर्पण और अनुशासन में छिपी है। दोस्तों की मदद से और खुद पर भरोसा रखते हुए, हम अपने लक्ष्यों तक पहुँच सकते हैं।

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