आपके लिए प्रस्तुत है ‘Short moral stories in Hindi’ सीरीज मैं से और एक कहानी!
सूरज अपनी किरणों से धरती को नहला रहा था और पूरे गांव में चहल-पहल थी। छोटे से गांव में, जहां हर गली का एक अपना इतिहास था, वहीं एक नन्हीं सी बच्ची थी अनन्या। केवल आठ साल की उम्र में भी उसकी आँखों में सपनों की चमक थी और दिल में असीम साहस। अनन्या को हमेशा नई-नई जगहों की खोज करना पसंद था। वह गांव की हर गली, हर कोने से वाकिफ थी। पर आज उसकी जिज्ञासा और भी बढ़ गई थी।
अनन्या ने सुना था कि उसके गांव में बहुत समय पहले एक खजाना छिपाया गया था। यह खजाना राजा महाराजाओं के जमाने का था, और इसे ढूंढने का साहस बहुत कम लोगों में था। गांव में एक कहानी प्रचलित थी कि जो भी उस खजाने को ढूंढेगा, उसके जीवन में समृद्धि आएगी और उसे अनमोल जीवन पाठ मिलेंगे।
इस खोज की शुरुआत अनन्या ने अपनी दादी के पास जाकर की। उसकी दादी गांव की सबसे ज्ञानी और समझदार महिला मानी जाती थीं। दादी ने उसे कई कहानियाँ सुनाई थीं, जिनमें गांव की रहस्यमयी बातों का जिक्र था।
“दादी, वह खजाना सच में है न?” अनन्या ने उत्सुकता से पूछा। दादी मुस्कराईं, “हाँ बेटा, वह खजाना तो सच में है। पर वह सिर्फ सोना-चांदी का खजाना नहीं है। वह खजाना जीवन का एक गूढ़ रहस्य है, जिसे ढूंढने के लिए साहस, विश्वास और मित्रता की आवश्यकता होती है।” “मैं उसे ढूंढूंगी, दादी!” अनन्या ने साहस से कहा। दादी ने उसके सिर पर हाथ रखा और धीरे से कहा, “याद रखना, इस यात्रा में तुम्हारे सामने कई चुनौतियाँ आएंगी। प्रकृति और जानवरों से तुम्हें मुकाबला करना पड़ेगा। पर तुम्हारे साथ सच्चे साथी रहेंगे, और वही तुम्हारी ताकत बनेंगे।”
अगली सुबह, अनन्या ने अपनी खोज यात्रा शुरू की। उसके साथ था उसका सबसे प्यारा और वफादार दोस्त – चिंटू, एक नन्हा हाथी। चिंटू और अनन्या की दोस्ती पूरे गांव में मशहूर थी। वे हमेशा साथ में खेलते और नई जगहों की खोज करते।
खोज के दौरान उन्हें रास्ते में एक पुरानी झील मिली। झील के किनारे बैठी एक बड़ी बूढ़ी कछुआ उनसे बोली, “इस झील के पानी में जादू है। अगर तुम इस पानी से अपनी आँखें धोओगी, तो तुम्हें वह दिखाई देगा, जो आम लोगों को नहीं दिखता।”
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अनन्या ने झील के पानी से अपनी आँखें धोईं और अचानक उसके सामने दूर-दूर तक फैले पहाड़, जंगल और गुफाएँ नजर आने लगीं। उन गुफाओं में छिपे खजाने का रहस्य शायद उन्हीं पहाड़ियों में था।
“हम सही दिशा में हैं, चिंटू!” अनन्या ने उत्साहित होकर कहा। वे आगे बढ़ते गए, पर उनके रास्ते में कई मुश्किलें भी आईं। सबसे बड़ा खतरा था राजा नामक बंदर का, जो बहुत चालाक और धूर्त था। राजा हमेशा गांव के लोगों को परेशान करता था और अनन्या की खजाने की खोज में भी रुकावट डालने की फिराक में था।
राजा बंदर ने जंगल में उनके रास्ते में कांटे बिछा दिए और उन्हें डराने की कोशिश की। लेकिन अनन्या हार मानने वाली नहीं थी। चिंटू ने अपनी सूंड से सारे कांटे हटा दिए और अनन्या ने अपने साहस से राजा का सामना किया।
“तुम हमें रोक नहीं सकते, राजा! हमारा उद्देश्य नेक है और हम खजाने तक जरूर पहुँचेंगे,” अनन्या ने दृढ़ता से कहा।
राजा कुछ समय के लिए पीछे हट गया, पर उसने हार नहीं मानी। उसकी योजना थी कि जैसे ही अनन्या और चिंटू खजाने के पास पहुँचें, वह उसे चुरा लेगा।
रास्ते में उन्हें और भी चुनौतियाँ मिलीं – एक घना जंगल, जिसमें हर तरफ पेड़-पौधे और बेलों का जाल बिछा था। वहां एक विशाल जंगली भालू भी रहता था, जो जंगल का संरक्षक था। अनन्या ने भालू से विनम्रता से कहा, “हम यहां सिर्फ खजाने की खोज के लिए आए हैं, हमारे इरादे नेक हैं।”
भालू ने उनकी बातें सुनीं और उन्हें अपनी मंजिल की ओर जाने दिया, क्योंकि उसे अनन्या की निष्ठा और साहस में सच्चाई नजर आई।
अंत में, अनन्या और चिंटू पहाड़ों के बीच स्थित एक गुफा तक पहुँच गए। गुफा के द्वार पर राजा बंदर पहले से ही छिपा हुआ था। जैसे ही अनन्या ने गुफा के अंदर कदम रखा, राजा ने उन पर झपट्टा मारा। लेकिन इस बार चिंटू ने राजा को अपनी सूंड से उठाया और उसे गुफा के बाहर फेंक दिया।
गुफा के अंदर उन्होंने देखा कि एक पुराना लकड़ी का संदूक रखा हुआ था। संदूक को खोलते ही उसमें उन्हें चमकती हुई किताबें, कुछ पुराने सिक्के और एक सुनहरे रंग का पत्थर मिला। पर असली खजाना वह किताबें थीं, जिनमें जीवन के अनमोल सबक लिखे थे। उन किताबों में से एक पर लिखा था, “यह खजाना उसी को मिलता है, जो साहसी हो, अपने साथियों पर भरोसा करे और प्रकृति का सम्मान करे।”
अनन्या ने वह किताबें संभाल कर रख लीं। उसने समझ लिया था कि असली खजाना सोने-चांदी में नहीं, बल्कि सीखने और समझने में है। उसने राजा बंदर को भी माफ कर दिया और उसे अपनी गलतियों से सीखने का मौका दिया।
गांव लौटने पर दादी ने अनन्या को गर्व से देखा। “तुमने वह खजाना ढूंढ लिया है, बेटा। यह खजाना तुम्हारे जीवन की दिशा बदल देगा,” दादी ने कहा।
इस खजाने की खोज ने अनन्या को न सिर्फ साहसी और समझदार बनाया, बल्कि उसे सिखाया कि सच्चे साथी और निष्ठा जीवन के सबसे बड़े खजाने होते हैं। और इस तरह अनन्या की यह अद्भुत यात्रा खत्म हुई। उसने वह खजाना पाया, जिसे सब ढूंढते थे, पर समझ में आ गया कि असली खजाना उसके अनुभवों, मित्रों और जीवन के अनमोल सबक में छिपा हुआ था।
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